शेखावत वंश का इतिहास | जय माँ भवानी हुकुम ,आपका एक बार फिर से हमारे पेज में स्वागत है। हमने अपनी पिछली पोस्ट में राजपूत समाज के विभिन्न वंशों के विषय में महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा कर रहे थे।
आज हम उसी कड़ी को एक बार फिर से आगे बढ़ाते हैं आज हम राजपूत समाज के एक और वंश शेखावत वंश के विषय में आपके साथ विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
भारत में राजस्थान के साथ साथ अन्य राज्यों में भी काफी अच्छी संख्या है। आज हम आपको कछवाहा शेखावत वंश के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताएंगे और उनके विषय में विस्तारपूर्वक चर्चा भी करेंगे तो चलिये शुरु करते हैं शेखावत वंश की गौरव गाथा
शेखावत वंश से जुड़ी रोचक और इतिहास की बातें इस प्रकार हे :-
(1). शेखावत वंश राजस्थान के मुख्य वंशों में से एक है आज भी शेखवात वंश के लोगों की सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान में ही है। आज भी शेखवात वंश के लोग अपनी शाही राजपूत परंपराओं का पालन कर रहे हैं।
(2). शेखावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय वंश की एक शाखा है देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर, शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ,सुरजगढ़, नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, खाचरियाबास, दूंद्लोद, अलसीसर, मलसिसर, रानोली आदि प्रभाव शाली ठिकाने शेखावतों के अधिकार में थे जो शेखावाटी नाम से प्रशिध है वर्तमान में शेखावाटी की भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सीमित है |
(3). आमेर नरेश पज्वन राय जी के बाद लगभग दो सो वर्षों बाद उनके वंशजों में वि.सं. 1423 में राजा उदयकरण आमेर के राजा बने, राजा उदयकरण के पुत्रो से कछवाहों की उदयकरण जी के तीसरे पुत्र बालाजी जिन्हें बरवाडा की 12 गावों की जागीर मिली शेखावतों के आदि पुरुष थे । बालाजी के पुत्र मोकलजी हुए और मोकलजी के पुत्र महान योधा शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखा का जनम वि.सं. 1490 में हुवा । वि. सं. 1502 में मोकलजी के निधन के बाद राव शेखाजी बरवाडा व नान के 24 गावों के स्वामी बने। महाराव शेखा खुद 1471 में स्वतंत्र घोषित कर दिया और उसके वंश के लिए एक अलग रियासत की स्थापना की।
(4). शेखावत वंश में शेखावात उपनाम महाराव शेखाजी के नाम से लिया गया है। जो कि एक महान राजा थे हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि महाराव शेखा जी के वंशज ही शेखावत कहलाये।
(5). शेखावत वंश के लोग सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय हैं।मगर एक बात ध्यान देने योग्य है कि कछवाह क्षत्रिय एक विस्तृत रूप है और शेखावत वंश उसका एक भाग है। शेखावत वंश के क्षत्रिय भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज है। भगवान राम ने भाग कुश को सौंपा था उसे कुशावती राज्य के नाम से जाना जाता था।
(6). महाराव शेखा जी के दादाजी आमेर के राजा उदयकरण जी के तिसरे पुत्र थे।राव शेखा जी के पुत्र राव सूजा जी और जगमल जी ने सन् 1503 के लगभग बान्सूर प्रदेश पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। सूजा जी ने बसई को अपनी राजधानी बनाया और जगमाल जी हाजीपुर चले गए। सन् 1537 में सूजा जी का देहावसान हो गया और राव सूजा जी के पुत्र लूणकर्ण जी, रायसल जी, चाँदा जी और भरूँजी बड़े प्रतापी और वीर हुए थे। शेखावटी के खेतडी, खण्डेला, सीकर, शाहपुरा आदि नगरोँ में लूणकर्ण और रायसल बसई में अब तक खण्डहर पड़ा हुआ है।
(7). शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखाजी का जनम वि.सं. 1490 में हुवा वि. सं. 1502 में मोकलजी के निधन के बाद राव शेखाजी बरवाडा व नान के 24 गावों के स्वामी बने राव शेखाजी ने अपने साहस वीरता व सेनिक संगठन से अपने आस पास के गावों पर धावे मारकर अपने छोटे से राज्य को 360 गावों के राज्य में बदल दिया राव शेखाजी ने नान के पास अमरसर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया और शिखर गढ़ का निर्माण किया राव शेखाजी के वंशज उनके नाम पर शेखावत कहलाये |
(8). शेखावत वंश की कुलदेवी जमवाय माता जी है। इनका प्रमुख मंदिर जयपुर के निकट जमवारामगढ़ में है। शेखावत वंश का गोत्र मानव है।शेखावत वंश ने हमेशा से अपनी कर्मभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान तक दे दिया। शेखावत वंश के लोगों ने भारत देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें लाफी लोगों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।
(9). शेखावाटी क्षेत्र, शेखावत वंश के प्रवर्तक महाराव शेखाजी को नारी सम्मान व साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जाता है| महाराव शेखाजी ने एक स्त्री की मान रक्षा के लिए अपने ही निकट सम्बन्धी गौड़ राजपूतों से पांच वर्ष तक चले खुनी संघर्ष में ग्यारह युद्ध किये थे और आखिरी युद्ध में विजय के साथ ही अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, इसी उत्सर्ग ने उन्हें नारी अस्मिता और सम्मान का प्रतीक बना दिया|
(10). शेखावत वंश के लोग आज भी देश की राजनीति में प्रत्यछ रूप से भाग लेते हैं। राजस्थान के एक बड़े हिस्से पर शेखावत वंश के लोग प्रभाव डालते हैं। देश में बड़ी संख्या में शेखावत लोग सक्रिय राजनीति का हिस्सा हैं परंतु उनमें से अब तक सबसे सफल पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय श्री भैरों सिंह शेखावत को माना जाता है।
शेखावत वंश का इतिहास परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ
शेखावत वंश की प्रमुख शाखाएं इस प्रकार हे :- महाराव शेखा जी के बारह बेटे थे। जिन में से तीन बेटे भरतजी, तिलोकजी [त्रिलोकजी],प्रतापजी निसंतान थे। बाकि बेटों से जो शाखाएँ चली जो इस प्रकार है
(1). टकनॆत शॆखावत-
शेखा जी के ज्येष्ठ पुत्र दुर्गा जी के वंशज टकनॆत शॆखावत कहलाये !खोह,पिपराली,गुंगारा आदि इनके ठिकाने थे जिनके लिए यह दोहा प्रशिध है
खोह खंडेला सास्सी गुन्गारो ग्वालेर ! अलखा जी के राज में पिपराली आमेर !! टकनॆत शॆखावत शेखावटी में त्यावली,तिहाया,ठेडी,मकरवासी,बारवा ,खंदेलसर,बाजोर व चुरू जिले में जसरासर,पोटी,इन्द्रपुरा,खारिया,बड्वासी,बिपर आदि गावों में निवास करते है !
(2). रतनावत शेखावत –
महाराव शेखाजी के दुसरे पुत्र रतना जी के वंशज रतनावत शेखावत कहलाये इनका स्वामित्व बैराठ के पास प्रागपुर व पावठा पर था !हरियाणा के सतनाली के पास का इलाका रतनावातों का चालीसा कहा जाता है |
(3). मिलकपुरिया शेखावत –
शेखा जी के पुत्र आभाजी,पुरन्जी,अचलजी के वंशज ग्राम मिलकपुर में रहने के कारण मिलकपुरिया शेखावत कहलाये इनके गावं बाढा की ढाणी, पलथाना ,सिश्याँ,देव गावं,दोरादास,कोलिडा,नारी,व श्री गंगानगर के पास मेघसर है !
(4). खेज्डोलिया शेखावत –
शेखा जी के पुत्र रिदमल जी वंशज खेजडोली गावं में बसने के कारण खेज्डोलिया शेखावत कहलाये !आलसर,भोजासर छोटा,भूमा छोटा,बेरी,पबाना,किरडोली,बिरमी,रोलसाहब्सर,गोविन्दपुरा,रोरू बड़ी,जोख,धोद,रोयल आदि इनके गावं है !
(5). बाघावत शेखावत –
शेखाजी के पुत्र भारमल जी के बड़े पुत्र बाघा जी वंशज बाघावत शेखावत कहलाते है ! इनके गावं जेई पहाड़ी,ढाकास,सेनसर,गरडवा,बिजोली,राजपर,प्रिथिसर,खंडवा,रोल आदि है !
(6). सातलपोता शेखावत –
शेखाजी के पुत्र कुम्भाजी के वंशज सातलपोता शेखावत कहलाते है !
(7). रायमलोत शेखावत –
शेखाजी के सबसे छोटे पुत्र रायमल जी के वंशज रायमलोत शेखावत कहलाते है इनकी भी कई शाखाएं व प्रशाखाएँ है जो इस प्रकार है !
- तेजसी के शेखावत –रायमल जी पुत्र तेज सिंह के वंशज तेजसी के शेखावत कहलाते है ये अलवर जिले के नारायणपुर,गाड़ी मामुर और बान्सुर के परगने में के और गावौं में आबाद है !
- सहसमल्जी का शेखावत — रायमल जी के पुत्र सहसमल जी के वंशज सहसमल जी का शेखावत कहलाते है !इनकी जागीर में सांईवाड़ थी !
- जगमाल जी का शेखावत -जगमाल जी रायमलोत के वंशज जगमालजी का शेखावत कहलाते है !इनकी १२ गावों की जागीर हमीरपुर थी जहाँ ये आबाद है
- सुजावत शेखावत -सूजा रायमलोत के पुत्र सुजावत शेखावत कहलाये !सुजाजी रायमल जी के ज्यैष्ठ पुत्र थे जो अमरसर के राजा बने !
(8). लुनावत शेखावत :-
लुन्करण जी सुजावत के वंशज लुन्करण जी का शेखावत कहलाते है इन्हें लुनावत शेखावत भी कहते है,इनकी भी कई शाखाएं है ! उग्रसेन जी का शेखावत ,अचल्दास का शेखावत,सावलदास जी का शेखावत,मनोहर दासोत शेखावत आदि !
(9). रायसलोत शेखावत :-
लाम्याँ की छोटीसी जागीर जागीर से खंडेला व रेवासा का स्वतंत्र राज्य स्थापित करने वाले राजा रायसल दरबारी के वंशज रायसलोत शेखावत कहलाये ! राजा रायसल के 12 पुत्रों में से सात प्रशाखाओं का विकास हुवा जो इस प्रकार है !
- 1. लाड्खानी :- राजा रायसल जी के जेस्ठ पुत्र लाल सिंह जी के वंशज लाड्खानी कहलाते है दान्तारामगढ़ के पास ये कई गावों में आबाद है यह क्षेत्र माधो मंडल के नाम से भी प्रशिध है पूर्व उप राष्ट्रपति श्री भैरों सिंह जी इसी वंश से है !
- 2. रावजी का शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र तिर्मल जी के वंशज रावजी का शेखावत कहलाते है ! इनका राज्य सीकर,फतेहपुर,लछमनगढ़ आदि पर था !
- 3. ताजखानी शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र तेजसिंह के वंशज कहलाते है इनके गावं चावंङिया, भोदेसर ,छाजुसर आदि है
- 4. परसरामजी का शेखावत :- राजा रायसल जी के पुत्र परसरामजी के वंशज परसरामजी का शेखावत कहलाते है !
- 5. हरिरामजी का शेखावत :- हरिरामजी रायसलोत के वंशज हरिरामजी का शेखावत कहलाये !
- 6. गिरधर जी का शेखावत :- राजा गिरधर दास राजा रायसलजी के बाद खंडेला के राजा बने इनके वंशज गिरधर जी का शेखावत कहलाये ,जागीर समाप्ति से पहले खंडेला,रानोली,खूड,दांता आदि ठिकाने इनके आधीन थे !
- 7. भोजराज जी का शेखावत :- राजा रायसल के पुत्र और उदयपुरवाटी के स्वामी भोजराज के वंशज भोजराज जी का शेखावत कहलाते है ये भी दो उपशाखाओं के नाम से जाने जाते है,
1 -शार्दुल सिंह का शेखावत , 2 -सलेदी सिंह का शेखावत
(10). गोपाल जी का शेखावत –
गोपालजी सुजावत के वंशज गोपालजी का शेखावत कहलाते है | सूजा जी [सूरजमल जी] के पुत्र गोपालजी के वंशज गोपाल जी का शेखावत कहलाये हैं। झुञ्झुणु जिले में गोपाल जी का शेखावत गाँव सेंसवास, जांटवली, फूसखानी गाँव सेंसवास, गोपालजी अमरासर के राव सुजाजी के पुत्र व राव रायमलजी के पोते थे, तथा महाराव शेखाजी के पड़ पोते थे।
(11). भेरू जी का शेखावत –
भेरू जी सुजावत के वंशज भेरू जी का शेखावत कहलाते है , भरूँजी अमरासर के राव सुजाजी के पुत्र व राव रायमलजी के पोते थे, तथा महाराव शेखाजी के पड़ पोते थे।
(12). चांदापोता शेखावत –
चांदाजी सुजावत के वंशज के वंशज चांदापोता शेखावत कहलाये, चांदाजी अमरासर के राव सुजाजी के पुत्र व राव रायमलजी के पोते थे, तथा महाराव शेखाजी के पड़ पोते थे।