Jamway Mata ( जमवाय माता ) : कुलदेवी कछवाहा वंश दर्शन मात्र से संकट होते हे दूर

जयपुर के नज़दीक और रामगढ झील से एक किलोमीटर आगे पहाड़ी की तलहटी में बना Jamway Mata का मंदिर आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में बसे कछवाह वंश के लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जमवाय माता कुलदेवी होने से नवरात्र एवं अन्य अवसरों पर देशभर में …

जयपुर के नज़दीक और रामगढ झील से एक किलोमीटर आगे पहाड़ी की तलहटी में बना Jamway Mata का मंदिर आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में बसे कछवाह वंश के लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

जमवाय माता कुलदेवी होने से नवरात्र एवं अन्य अवसरों पर देशभर में बसे कछवाह वंश के लोग यहां आते हैं और मां को प्रसाद, पोशाक एवं 16 शृंगार का सामान भेंट करते हैं। कछवाहों के अलावा यहां अन्य समाजों के लोग भी मन्नत मांगने आते हैं। यहां पास ही में रामगढ़ झील एवं वन्य अभयारण्य होने से पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं।

Jamway Mata

कछवाह राजवंश की कुलदेवी श्री Jamway Mata 

आज आपको हम कछवाह राजवंश की कुलदेवी के बारे में बताते है । । अयोध्या राज्य के राजा भगवान श्री रामचन्द्र जी के पुत्र राजा कुश के वंशज कछवाह कहलाते है । जिनका राज्य अयोध्या से चलकर रोहताशगढ ( बिहार ) में रहा , 11वी शताब्दी में महाराजा दुल्हेराय जी ने अपनी राजधानी नरवर ( ग्वालियर राज्य ) में बनाई ।

 नरवर (ग्वालियर ) राज्य के अंतिम राजा दुलहराय जी ने अपनी राजधानी सर्वप्रथम राजस्थान में दौसा राज्य में स्थापित की , दौसा से इन्होने ढूढाड क्षेत्र में मॉच गॉव पर अपना अधिकार किया जहॉ पर मीणा जाति का कब्जा था , इस युद्ध में दुल्हेराय को बहुत शती हुई थी और स्वं दुल्हेराय जी भी घायल हो गए थे और वह मुर्छित हो गए ,मूर्छा अवस्था में उन्हें बुड.वाय माता ने दर्शन दिए और उनकी और सेना को स्वस्थ होने का आशीर्वाद दिया और आदेश दिया की पुन: युद्ध करो और युद्ध में विजय होने के पश्च्यात धाट पर मेरा मंदिर बनवा देना और जमवाय माता के नाम से मेरी पूजा अर्चना करना |

माता के आदेश अनुसार युद्ध में विजय होने के बाद रामगढ़ (मॉच ) गॉव के पास ही कछवाह राजवंश के राजा दुलहराय जी ने अपनी कुलदेवी श्री जमवाय माता जी का मंदिर बनवाया । 

Jamway Mata
जमवाय माता मंदिर स्थापना 

कछवाह राजवंश के राजा दुलहराय जी ने अपने ईष्टदेव भगवान श्री रामचन्द्र जी तथा अपनी कुलदेवी श्री जमवाय माता जी के नाम पर उस मॉच (मॉची ) गॉव का नाम बदल कर जमवारामगढ रखा , जमवारामगढ में अपना राज्य स्थापित किया । राजा दुलहराय जी के दो पुत्र हुये कॉकिलदेव और वीकलदेव जिसमें कॉकिलदेव जी ने मीणाओ से आमेर का किला छीनकर अपना नया राज्य स्थापित किया ।

और दुलहराय जी के छोटे पुत्र वीकलदेव जी ने चम्बल नदी के बीहडो से होते हुये मध्य प्रदेश के जिला भिण्ड में इंदुर्खी राज्य में अपनी राजधानी बनाई जो वहा का क्षेत्र जिला भिण्ड में कछवाहघार के नाम से जाना जाता है ।

Jamway Mata

आमेर के बाद कछवाहो ने जयपुर शहर बसाया जयपुर शहर से 7 कि.मी . की दूरी पर कछवाहो का किला आमेर बना है । और जयपुर शहर से 32 कि.मी. की दूरी पर ऑधी जाने वाली रोड पर जमवारामगढ है । जमवारामगढ से 5 कि.मी. की दूरी पर कछवाहो की कुलदेवी श्री जमवाय माता जी का मंदिर बना है ।

इस मंदिर के अंदर तीन मूर्तियॉ विराजमान है , पहली मूर्ति गाय के बछडे के रूप में विराजमान है , दूसरी मूर्ति श्री जमवाय माता जी की है , और तीसरी मूर्ति बुडवाय माता जी की है ,  श्री जमवाय माता जी के बारे में कहा गया है कि ये सतयुग में मंगलाय , त्रेता में हडवाय , द्वापर में बुडवाय तथा कलियुग में जमवाय माता जी के नाम से देवी की पूजा – अर्चना होती आ रही है ।।…जय माँ जमवाय भवानी 

राजपूत वंशो की कुलदेवी से जुड़े अन्य लेख जरूर पढ़े 

  1. चौहान वंश की कुलदेवी ( आशापुरा माता )
  2. तौमर/तँवर वंश की कुलदेवी ( चिल्लाय माता )