तोरण । भारत एक विशाल देश है, और यहां हर क्षेत्र में रीति-रिवाज भी अलग-अलग है। ऐसी ही एक परंपरा है हिन्दू विवाह के समय तोरण मारने की प्रथा । जब विवाह के समय दूल्हा घोड़ी पर बैठकर दुल्हन के घर आता हैं । तब दूल्हा अपनी तलवार से दुल्हन के घर की चोखट पर बंधे तोरण को अपनी तलवार से छूता है फिर घर में प्रवेश करता हे । इसे ही तोरण मारना कहां जाता है, इस तोरण मारने की प्रथा के पीछे एक पौराणिक दंत कथा हे जो नीचे उल्लेखित है।
तोरण मारने की प्रथा की प्रोराणिक कहानी
एक समय की बात है आर्यवर्त में एक साम्राज्य था । उस साम्राज्य में सब कुशल-मंगल था, और प्रजा भी अपने राजा से प्रसन्न थी एवम् हंसी खुशी से अपना जीवन यापन कर रही थी । किन्तु राजा के कोई संतान ना होने के कारण राजा बहुत उदास रहता था ।
समय निकलता गया किन्तु उन्हें संतान प्राप्ति नही हुई । फिर किसी संत के आशीर्वाद से राजा को एक पुत्री की प्राप्ति हुई । बहुत दिनों तक निसंतान रहने के कारण नन्ही राजकुमारी अपने माता पिता की बहुत लाड़ली थी । इसी कारण राजकुमारी स्वभाव से बहुत चंचल थी और दिन भर अपनी सखियों के साथ राजमहल में क्रीड़ा करती थी । राजकुमारी की यह सब खेलकुद एक तोरण नामक तोता देखता था, और रोज राजमहल में आता था ।
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इसी से परेशान होकर राजा अपनी पुत्री को कहते थे की अगर आप ज्यादा शैतानी करोगे तो आपकी शादी इसी तोते ( Toran ) से करवा देंगे । किन्तु राजकुमारी पर इन सब बातो का कोई फर्क नही पड़ रहा था, इसलिए राजा ने राजकुमारी को कहां की आज से यही तोता Toran आपका होनेवाला पति हे।
तोरण मारना एवम् राजकुमारी का विवाह
समय गुजरता गया और राजकुमारी भी बड़ी हो गई । बचपन की बाते राजा भी भूल गया था । कुछ दिनों बाद एक उचित वर देखकर राजा ने अपनी पुत्री का विवाह तय कर दिया । शादी पक्की हो गई और बारात भी पहुंच गई । राजकुमार घोड़ी पर बैठकर बैंड बाजों के साथ राजकुमारी के दरवाजे पर पहुंच गया ।
किन्तु दरवाजे पर वही तोता तोरण पहले से बैठा था, Toran ने कहां की राजकुमारी की शादी तो बचपन में ही उससे तय हो गई थी, इसलिए राजकुमारी से वह विवाह करेगा । इस बात का पता लगने से चारों और बात फैल गई । राजा भी अपने दिए वचन के कारण मौन था, क्योंकि उसने भूलवश अनजाने में राजकुमारी का विवाह तोरण के साथ तय कर दिया था ।
सब सोचने पड़ गए की अब क्या करे । एक तरफ दरवाजे पर घोड़ी पर दूल्हा खड़ा था, और दूसरी तरफ तोरण भी हठ किए था की विवाह वह करेगा । तब राजकुमार ने अपनी तलवार निकाली और तोते तोरण का वध कर दिया एवम् विवाह करने हेतु राजमहल में प्रवेश किया । इस तरह विवाह के समय मौजूद सभी बुरी नजर का अंत हुआ और हंसी खुशी से विवाह संपन्न हुआ ।
इसी घटना के बाद से ही हिन्दू विवाह के समय दूल्हा ग्रह प्रवेश से पहले सभी समस्याओं और बुरी नजर के प्रतीक तोरण मारकर घर में प्रवेश करने की प्रथा की शुरवात हुई थी जो आजतक चली आ रही हे ।